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MERI KAVITAON KA LUTHF UTHAYEIN

Thursday, December 16, 2010

YEH KAISA BHARAT?



आज आपको एक घटना सुनाता हूँ

अशिक्षित भारत से आपको रूबरू करता हूँ

लालकुआ से बैठा ट्रेन पर बरेली थी मंजिल

करनी थी अटेंड वह हमको एक महफ़िल

रस
बढ़ रहा था यात्रा का पहुच गए हम किच्छा

आगे की YAATRA मे फिर स्टेशन आया रिच्छा

पांच
मिनुत के स्टॉप मे जब कलग गया time

हमने जाकर पता किया इस एवरी थिंग fine

पता चला जब बगल वाली पटरी पर दूसरी ट्रेन आयेगी

तब ही हमारी TRAIN आगे की AUR जाएगी

मे बैठ गया सीट पर झाँकने लगा बहार की और

गयी दूसरी ट्रेन भी मैंने फिर किया गौर

मगर देखा की कुछ लड़के नहीं चढ़ पाए और ट्रेन चल दी

उन लडको की भी बुद्धि पता नहीं कहा चल दी

उठा के पत्थर ट्रेन पर फैकने लगे वो अनपढ़

जैसे ऐसा कर उनका स्वाभिमान गया हो बढ़

नहीं थी उन्हें कोई फिक्र किसी को चोट लग जाएगी

किसी बच्चे को पत्थर लग गया तो उसकी हड्डी टूट जाएगी

वो बदतमीज कुवांरे अकाल के मार फैक रहे थे पत्थर

भूल गए की जाना है उन्हें एक दिन खुदा के घर

जब ट्रेन चले गयी तो वो गली देने लगे।

अभी भी मन नहीं भरा अपशब्द कहने लगे

मेरी ट्रेन भी चल दी देखते हुए यह मंजर

इस घटना नै चला दिया मेरे सीने पर खंजर

क्या इसलिए कहते है हम मेरा भारत महान

क्या इसलिए है हमको खुद पर इतना गुमान

अरे नेता को भ्रस्त कहने वाले आदमी तू आम

तुने तो इस घटना से किया नेता को भी गुमनाम

जब भारतवासी अपनी सोच मे बदलाव लायेगा

तब ही हमारा यह भारत बदल पायेगा

'मारवाड़ी' अपनी देखि घटना युही सुनाएगा