आज आपको एक घटना सुनाता हूँ ।
अशिक्षित भारत से आपको रूबरू करता हूँ।
लालकुआ से बैठा ट्रेन पर बरेली थी मंजिल।
करनी थी अटेंड वह हमको एक महफ़िल।
आगे की YAATRA मे फिर स्टेशन आया रिच्छा।
हमने जाकर पता किया इस एवरी थिंग fine।
पता चला जब बगल वाली पटरी पर दूसरी ट्रेन आयेगी।
तब ही हमारी TRAIN आगे की AUR जाएगी।
मे बैठ गया सीट पर झाँकने लगा बहार की और।
आ गयी दूसरी ट्रेन भी मैंने फिर किया गौर।
मगर देखा की कुछ लड़के नहीं चढ़ पाए और ट्रेन चल दी।
उन लडको की भी बुद्धि पता नहीं कहा चल दी।
उठा के पत्थर ट्रेन पर फैकने लगे वो अनपढ़ ।
जैसे ऐसा कर उनका स्वाभिमान गया हो बढ़।
मगर देखा की कुछ लड़के नहीं चढ़ पाए और ट्रेन चल दी।
उन लडको की भी बुद्धि पता नहीं कहा चल दी।
उठा के पत्थर ट्रेन पर फैकने लगे वो अनपढ़ ।
जैसे ऐसा कर उनका स्वाभिमान गया हो बढ़।
नहीं थी उन्हें कोई फिक्र किसी को चोट लग जाएगी।
किसी बच्चे को पत्थर लग गया तो उसकी हड्डी टूट जाएगी।
वो बदतमीज कुवांरे अकाल के मार फैक रहे थे पत्थर।
भूल गए की जाना है उन्हें एक दिन खुदा के घर।
जब ट्रेन चले गयी तो वो गली देने लगे।
अभी भी मन नहीं भरा अपशब्द कहने लगे।
मेरी ट्रेन भी चल दी देखते हुए यह मंजर ।
इस घटना नै चला दिया मेरे सीने पर खंजर।
क्या इसलिए कहते है हम मेरा भारत महान।
क्या इसलिए है हमको खुद पर इतना गुमान।
अरे नेता को भ्रस्त कहने वाले आदमी तू आम।
तुने तो इस घटना से किया नेता को भी गुमनाम।
जब भारतवासी अपनी सोच मे बदलाव लायेगा।
किसी बच्चे को पत्थर लग गया तो उसकी हड्डी टूट जाएगी।
वो बदतमीज कुवांरे अकाल के मार फैक रहे थे पत्थर।
भूल गए की जाना है उन्हें एक दिन खुदा के घर।
जब ट्रेन चले गयी तो वो गली देने लगे।
अभी भी मन नहीं भरा अपशब्द कहने लगे।
मेरी ट्रेन भी चल दी देखते हुए यह मंजर ।
इस घटना नै चला दिया मेरे सीने पर खंजर।
क्या इसलिए कहते है हम मेरा भारत महान।
क्या इसलिए है हमको खुद पर इतना गुमान।
अरे नेता को भ्रस्त कहने वाले आदमी तू आम।
तुने तो इस घटना से किया नेता को भी गुमनाम।
जब भारतवासी अपनी सोच मे बदलाव लायेगा।
तब ही हमारा यह भारत बदल पायेगा।
'मारवाड़ी' अपनी देखि घटना युही सुनाएगा।
'मारवाड़ी' अपनी देखि घटना युही सुनाएगा।